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BJP ने कांग्रेस-झामुमो पर लगाया सरना धर्म कोड को लेकर ‘घड़ियाली आंसू’ बहाने का आरोप, बाबा कार्तिक साहेब के किताब बीस वर्ष की काली रात का भी जिक्र

BJP ने कांग्रेस-झामुमो पर लगाया सरना धर्म कोड को लेकर ‘घड़ियाली आंसू’ बहाने का आरोप, बाबा कार्तिक साहेब के किताब बीस वर्ष की काली रात का भी जिक्र
रांची, 20 मई : BJP  ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा पर सरना धर्म कोड के मुद्दे पर दोहरा चरित्र दिखाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। मंगलवार को रांची में आयोजित एक प्रेस वार्ता में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने दोनों दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये दल सरना धर्म कोड के नाम पर सिर्फ राजनीतिक नाटक कर रहे हैं।
प्रतुल ने खुलासा किया कि 2014 में कांग्रेस-झामुमो की संयुक्त यूपीए सरकार ने सरना धर्म कोड की मांग को ठुकरा दिया था। तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री वी. किशोर चंद्रदेव ने 11 फरवरी 2014 को पत्रांक संख्या 16012/19/2013/(PC &V) के जरिए इसे ‘अव्यवहारिक’ करार देते हुए खारिज किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि ऐसी मांग को मानने से अन्य धर्मों से भी सैकड़ों मांगें उठ सकती हैं।
सत्ता में रहते खारिज, अब आंदोलन का ढोंग”
प्रतुल ने तंज कसते हुए कहा, “जब कांग्रेस और झामुमो केंद्र में सत्ता में थे, तब इन्होंने सरना धर्म कोड को नकार दिया। अब सत्ता से बाहर हैं तो आंदोलन की बात कर रहे हैं। यह घड़ियाली आंसू और जनता को गुमराह करने की साजिश है।” उन्होंने दोनों दलों से आदिवासी समाज से 2014 के इस फैसले के लिए सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की।
कार्तिक उरांव की किताब “बीस वर्ष की काली रात” का जिक्र
बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बाबा कार्तिक साहेब के किताब बीस वर्ष की काली रात का भी जिक्र किया । जिसमें कार्तिक उरांव ने 1967 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 235 सांसदों के हस्ताक्षर वाला एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे से ईसाई और इस्लाम में परिवर्तित लोगों को हटाने की मांग की गई थी। यह सुझाव संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों के अनुरूप था, जिसमें कहा गया था कि जो व्यक्ति आदिवासी धर्म छोड़कर ईसाई या इस्लाम अपनाते हैं, उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिलना चाहिए। हालांकि, ईसाई मिशनों के दबाव के में  तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ने इस 235 सांसदों के हस्ताक्षर वाली सुझाव को लागू नहीं होने दिया
कांग्रेस-झामुमो ने तोड़ी बेशर्मी की सारी हदें”
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस और झामुमो पर आदिवासी हितों की अनदेखी का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने 50 साल से ज्यादा देश पर शासन किया और झामुमो उनकी पिछलग्गू बनी रही, लेकिन आदिवासियों के लिए कोई ठोस काम नहीं किया। उल्टा, उनके मंत्री ने सरना धर्म कोड को आधिकारिक रूप से खारिज कर दिया। अब ये किस मुंह से आंदोलन की बात करते हैं?”
आदिवासी समाज में बढ़ता असंतोष
सरना धर्म कोड का मुद्दा झारखंड की सियासत में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। आदिवासी समुदाय इसे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए अहम मानता है।

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