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राज्य भाषा से हिंदी भाषा को निकाला जाने पर बीजेपी ने हेमंत सरकार का विरोध किया

बीजेपी ने कहा कि जेएसएससी की नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर सरकार ने राजभाषा हिंदी का अपमान किया है. यह संशोधन साफ तौर पर यह बताती है कि सरकार ने क्षेत्र विशेष के छात्रों पर कुठाराघात किया है. और मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति की है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सरकार ने राजभाषा को मुख्य पेपर से हटाकर स्क्रीनिंग पेपर में रख कर लाखों छात्रों के साथ अन्याय किया है. ऐसा उदाहरण पेश करने वाला झारखंड पहला राज्य है. बीजेपी इस मुद्दे पर गंभीर है. इसके खिलाफ राज्य में बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

तुष्टीकरण की पराकाष्ठा
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि पिछले साल बनी नियुक्ति नियमावली में हिंदी के साथ उर्दू भी था, लेकिन इस बार उर्दू को मूल पेपर में रखा गया, लेकिन हिंदी को हटा दिया गया. अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए सरकार ने तुष्टीकरण की पराकाष्ठा कर दी है.

क्षेत्र विशेष के साथ अन्याय
उन्होंने कहा कि पलामू और गढ़वा में भोजपुरी बोलने वाले काफी लोग हैं, जबकि गोड्डा और साहिबगंज इलाके में अंगिका भाषा बोली जाती है. नई नियुक्ति नियमावली में इन दोनों भाषाओं को हटाकर क्षेत्र विशेष के लोगों के साथ अन्याय किया गया है. यह विशेष के वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास है

सामान्य जाति के मूल वासियों के साथ अन्याय
प्रतुल ने कहा कि नई नियमावली में झारखंड के सामान्य जाति के मूलवासी खतियानी छात्रों के साथ भी अन्याय हुआ है. राज्य में ऐसे कई लोग हैं जो मूलवासी हैं, लेकिन नौकरी या दूसरी वजह से दूसरे राज्यों में चले गए. जहां उनके बच्चे पढ़ाई किये है. नई नियमावली में ऐसे सामान्य जाति के छात्रों को दरकिनार कर दिया गया है.

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