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ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग से दलालों को हटाया जाए :प्रदीप यादव , देखे वीडियो

Jharkhand Assembly :  झारखंड विधानसभा सत्र में विधायक प्रदीप यादव ने शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया ही प्रश्न पर सरकार का मिला जुला जबाब रहा । लेकिन प्रदीप यादव के सवाल पर सरकार घिरी नजर आई । शिक्षकों की कमी से सरकार ने इनकार भी नही किया ना ही इनके समायोजन को लेकर कोई सकारात्मक उत्तर दिया  ।
वही प्रदीप यादव ने भू राजस्व मंत्री को यह सलाह दी की अधिकांश झगड़ा जमीन विवाद के कारण होते हैं और 1980 से सर्व चालू है लेकिन 50 साल हो गया अभी तक सर्वे पूरा नहीं हुआ है, युद्ध स्तर पर सर्वे कराया जाए सारे झगडे खत्म हो जाएंगे,   उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग से दलालों को हटाइए काफी समस्याएं खुद ब खुद समाप्त हो जाएंगे
                  सदन में बोलते  विधायक प्रदीप यादव
वैसे अब हम आपको  विधायक प्रदीप यादव के सवाल और सरकार के जवाब हूबहू दिखा रहे है ।
प्रदीप यादव का सवाल 
क्या यह बात सही है, कि राज्य अधीनस्थ विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है;
सरकार का जवाब आंशिक स्वीकारात्मक ।
राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में आवश्यकता आधारित शिक्षकों के द्वारा वर्ष 2017 से पठन-पाठन का कार्य किया जा रहा है।
सवाल नंबर 2 
क्या यह बात सही है, कि उक्त शिक्षण संस्थानों में कुल 700 से अधिक आवश्यकता आधारित व्याख्याता (NBL) UGC रेगुलेशन के अनुरूप लम्बे समय से सफलता पूर्वक कार्यरत है, जो लम्बे समय से समायोजन की माँग कर रहे है;
आंशिक स्वीकारात्मक ।
आवश्यकता आधारित शिक्षकों की सेवा विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न वर्षों (वर्ष-2017 से वर्ष 2025 तक) में प्राप्त की गयी है।
विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में सृजित /नवसृजित रिक्त पदों जिनपर नियमित नियुक्ति लंबित है, उन पदों पर नियमित नियुक्ति होने तक ही विश्वविद्यालयों द्वारा आवश्यकता आधारित सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति किये जाने का प्रावधान है।
सवाल नबर 3 
यदि उपर्युक्त खण्डों के उत्तर स्वीकारात्मक है, तो क्या सरकार कार्यरत सुयोग्य NBL का रिक्त पदों पर समायोजन करने का विचार रखती है, हाँ, तो कब तक, नहीं तो क्यों ?
राज्य के 9 विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में 2416 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति हेतु झारखण्ड लोक सेवा आयोग को अधियाचना विश्वविद्यालयों के माध्यम से भेजी गयी है। नियुक्ति की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
पूर्व की कंडिका 02 में अंकित प्रावधान के आलोक में समायोजन का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

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