Manda 02 1

100 साल से कायस्थों के कुलदेवी मंदिर (Temple) में प्रतिमा की नहीं बल्कि मिट्टी और सिंदूर के पिंड की पूजा की जाती है ।

 

गिरिडीह के देवरी के मंडा (Temple)  में 100 सालों से पिंड पर होती है मां की पूजा सिंदूर से किया जाता है सिंगारमंडा में औरपरिसर के मुख्य मंदिर में आज भी नहीं है कोई प्रतिमा

वही से कुछ दूर कायस्थ समाज भी सौ सालों से माँ की पूजा कर रहा है माँ की पिंडी भी नही बल्कि मिट्टी और सिंदूर से होतो है माँ की पूजा । कहते है अथाह शक्ति है इस मंदिर में

गिरिडीह जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर देवरी में 100 वर्ष प्राचीन माता मंदिर में प्रतिमा की नहीं बल्कि मिट्टी और सिंदूर के पिंड की पूजा की जाती है । यहाँ मिट्टी के पिंड पर सिंदूर का लेप लगाया जाता है और माता लोगों की मन्नतें पूरी करती हैं। मंदिर की मान्यता है कि जिसने भी यहां झोली फैलाया है मां उसकी मुरादें पूरी करती हैं ।

खासकर नवरात्र के समय । इस मंदिर की खासियत यह है की यह माता कायस्थों की कुल देवी है ।
आज भी माता मंदिर के गर्भ गृह में वही सिंदूरी मिट्टी का पिंड है । भक्तों को पिंड से दूर जलार्पण कराया जाता है , ताकि क्षतिग्रस्त नहीं हो

सस्थानीय समाजसेवी बिंदेश्वरी प्रसाद ने बताया कि माता मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपने मन्नते को लेकर आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। वही पास के मंडा में झारखंड ही नहीं बल्कि बंगाल , बिहार, के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु माता का दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

माता मंदिर में श्रद्धालुओं को मां के प्रति श्रद्धा उमड़ती है। कहीं ना कहीं स्थानीय एवं सरकार को इस ओर अपनी नजरें इनायत करने की जरूरत है। ताकि क्षेत्र को पर्यटक स्थल घोषित करके यहां की खूबसूरत मंदिर, तालाब एवं मंदिर की कलाकृतियां को पर्दे से बाहर निकाला जा सके और देवरी प्रखंड क्षेत्र में विकास हो सके ।

मंडा में मां के प्रति श्रद्धालुओं का आस्था और श्रद्धालुओं की मुरादे पूरी होना लोगों को और भक्ति भाव में डुबो देती है। 100 वर्ष प्राचीन मंडा में स्थानीय लोगों के सहयोग से भव्य रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। अगर पर्यटक विभाग एवं सरकार की नजर इस ओर जाती है। तो कहीं ना कहीं मंडा के साथ पास के अन्य मंदिरों को भी लोग जान पाएंगे जिसमे देव पहाड़ी की मंदिर भी शामिल है ।

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