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राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश , देर रात तक वोटिंग में हो सकता फैसला , सबकी निगाहें राज्यसभा पर

वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा से पास होने के बाद   गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया । जाहिर है इस विधेयक को लोकसभा में  पारित होने में 12 घंटे लगे ।  लंबी बहस के बाद बिल पारित हुआ। राज्यसभा के  सभापति ने 8 घंटे का समय बहस के लिए दिया है । लेकिन कल लोकसभा में  बहस को 8 घंटे से 12 घंटे तक का करना पड़ा था ऐसे में राज्यसभा में भी या बस 8 घंटे से अधिक चले तो इसमें हैरत नहीं होगा ।

राज्यसभा में स्थिति 
पेश करने का समय: आज सुबह किरेन रिजिजू ने विधेयक को राज्यसभा में पेश किया। उन्होंने कहा कि यह बिल पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता के लिए है और इसका मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
संख्या बल: राज्यसभा में एनडीए के पास 125 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए 119 वोट चाहिए।
हालांकि, इसे चुनौती राज्यसभा में मिलने की संभावना है। राज्यसभा में कुल सांसद 245 सीट है हालांकि, मौजूदा समय में सदन में 236 सांसद हैं। वहीं, 9 सीटें खाली हैं। राज्यसभा में कुल 12 सांसद नामित हो सकते हैं, लेकिन इनकी संख्या फिलहाल 6 है। इस लिहाज से राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।
विपक्ष का रुख
विरोध: कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, AIMIM और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है।
आरोप: विपक्षी नेता, जैसे असदुद्दीन ओवैसी और राहुल गांधी, ने इसे “ध्रुवीकरण का हथियार” और “वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश” करार दिया है। कांग्रेस की सोनिया गांधी ने कहा कि यह बिल जल्दबाजी में पारित कराया गया और संविधान पर हमला है।
वॉकआउट: राज्यसभा में बिल पेश होते ही कुछ विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया, जिससे हंगामे की स्थिति बनी।
सरकार का तर्क
किरेन रिजिजू ने कहा कि यह बिल जस्टिस सच्चर कमेटी और अन्य समितियों की सिफारिशों पर आधारित है। उनका दावा है कि वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार और माफिया का कब्जा खत्म होगा, और इससे गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और बच्चों को फायदा होगा।
सरकार ने यह भी कहा कि यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं, बल्कि प्रबंधन को बेहतर करने का प्रयास है।
आगे की प्रक्रिया
यदि यह बिल राज्यसभा से पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी सहमति के बाद यह कानून बन जाएगा।
अगर राज्यसभा में यह पारित नहीं होता, तो इसे संयुक्त सत्र या अन्य विधायी प्रक्रिया के जरिए आगे बढ़ाया जा सकता है।
विवाद और जनता की प्रतिक्रिया
मुस्लिम संगठनों का विरोध: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों ने इसे “मुस्लिम विरोधी” बताया और देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है।
सहयोगी दलों का समर्थन: जदयू, टीडीपी और एलजेपी जैसे एनडीए सहयोगियों ने बिल का समर्थन किया है, जिससे सरकार का पक्ष मजबूत है।
फिलहाल, राज्यसभा में चर्चा जारी है और वोटिंग के नतीजे इसकी अंतिम स्थिति तय करेंगे।

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