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JBVNL ने 400 मेगावाट बिजली खरीदी तब जाकर आपूर्ति हुई सामान्य, संकट बरकरार

JBVNL

प्रेरणा चौरसिया

Drishti  Now  Ranchi

गर्मी की शुरुआत होते ही राज्य का बिजली संकट गहराने लगा था । _ _ जेबीवीएनएल उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां उसे उपभोक्ताओं को बिजली जारी रखने के लिए अतिरिक्त बिजली खरीदनी होगी । पिछले एक सप्ताह से प्रदेश भर में बिजली संकट गहरा गया है । इन परिस्थितियों में , 400 मेगावाट की जेबीवीएनएल द्वारा बिजली खरीदी गई और आपूर्ति सामान्य हो गई । यह सामान्य सी लगने वाली स्थिति कब तक रहेगी यह एक बड़ी समस्या साबित हो रही है । हालांकि प्रधानमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश के बाद एजेंसी उपभोक्ताओं को बिजली संकट से बचाने की पूरी कोशिश कर रही है । गर्मी। बढ़ोतरी।

क्यों हो रही है समस्या
राज्य में बिजली संकट की कई वजहें हैं। इसमें ये अहम वजहें हैं, जिनके कारण उपभोक्ताओं के साथ-साथ जेबीवीएनएल को परेशानी उठानी पड़ रही है।

  • पहली वजह : बिजली समस्या की पहली वजह जो नजर आती है वह है उपलब्धता की परेशानी। राज्य के पास बिजली 11 विभिन्न स्रोतों से मिलती है। इसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है।
  • दूसरी वजह : राज्य में बिजली की मांग के आधार पर कई नए ट्रेंड भी देखने को मिल रहे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग लगभग बराबर रहने लगी है।
  • तीसरी वजह : इसके अतिरिक्त आम दिनों में बिजली की मांग 2000 से 2200 मेगावाट तक रहती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्य में बिजली की मांग 2800 मेगावाट जा पहुंची है। अधिकारियों की माने तो अभी जैसी स्थिति है कि बिजली की मांग 3000 मेगावाट तक जा सकती है।

12 रुपये प्रति यूनिट देकर खरीदी बिजली
मुख्यमंत्री ने निर्देश के बाद उपभोक्ताओं को बिजली संकट से निदान के लिए जेबीवीएनएल ने लगभग 400 यूनिट बिजली खरीदी। यह बिजली विभाग ने इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से रियल टाइम मार्केट के माध्यम से खरीदी। यह बिजली खरीदने का वह प्लेटफॉर्म है, जहां बिजली की बोली लगती है। यह हर दिन के लिए अलग-अलग होता है। यहां झारखंड सरकार ने 12 रुपये प्रतियूनिट की दर से बिजली खरीद कर आपूर्ति सामान्य की। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक अगर बिजली संकट बढ़ी। मांग बढ़ी तो फिर बिजली खरीदनी पड़ सकती है। ऐसे में उनका अनुमान है कि इसके लिए विभाग को 15 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली न खरीदनी पड़ जाए।
राज्य को यहां से मिली है बिजली
सोर्स और मेगावाट

  • एनटीपीसी : 700 मेगावाट
  • एनएचपीसी : 69 मेगावाट
  • पीटीसी : 153 मेगावाट
  • डीवीसी : 608 मेगावाट
  • टीवीएनएल : 420 मेगावाट
  • एपीएनआरएल : 189 मेगावाट
  • इनलैंड पावर : 63 मेगावाट
  • ग्रासिम लिमिटेड : 01 मेगावाट
  • सिकिदिरी : 130 मेगावाट
  • पवन ऊर्जा : 300 मेगावाट
  • सौर ऊर्जा : 476 मेगावाट

इन समयों पर मांग अधिक
जेबीवीएनएल का आंकलन है कि हर दिन कुछ निश्चित समय पर बिजली की मांग अधिकतम हो जा रही है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग लगभग बराबर रहने लगी है। वहीं रात और अहले सुबह के समय भी बिजली की मांग अधिकतम स्तर पर चली जा रही है। झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) के सामने व्यस्त समय के साथ-साथ रात और अहले सुबह भी एक्सचेंज से अतिरिक्त बिजली खरीदने की चुनौती सामने आ गई है। जेबीवीएनएल अब इस हिसाब से भी तैयारी कर रहा है कि इसका समाधान कैसे निकाला जाए।
राजधानी के ग्रिड को भी कम बिजली
राजधानी रांची के अलग-अलग ग्रिड में भी बिजली की आपूर्ति कम हो रही है। वहीं लोकल फाल्ट भी परेशानी की बड़ी वजह है। राजधानी के विभिन्न ग्रिड को देखें तो नामकुम ग्रिड को सामान्य दिनों में 110 मेगावाट तक बिजली मिलती है। जबकि गर्मी के कारण यहां 80 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है। हटिया ग्रिड को 120 मेगावाट की जगह 90 मेगावाट, कांके ग्रिड को 80 मेगावाट की जगह 50, बुढ़मू ग्रिड को 35 मेगावाट की जगह 18 मेगावाट बिजली मिल रही है।

 

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