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आजादी के 73 वर्षों के बाद भी एक पक्की सड़क को तरसता यह गांव ।

वी के पांडेय /गढ़वा

साल 2000 में बिहार राज्य से अलग होकर एक नया राज्य का गठन हुआ नाम पड़ा झारखंड। इसी दिन देश मे दो अन्य राज्य भी बने छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड। झारखंड गठन के आज 21 वर्ष हो गए। बिहार राज्य से अलग होने का उद्देश्य था छोटा राज्य होगा तो विकास होगा। गांव के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचेगा। लेकिन आज यह उद्देश्य क्या पूरा हुआ या कागजो तक ही सिमट गई सरकार के वादे। हम आपको आज एक्सक्लूसिव तश्वीरो के माध्यम से दिखाएंगे कितना विकास हुआ झारखंड में।
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गढ़वा
गढ़वा सुविधा विहीन गांव

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आदिवासी हितों की रक्षा के लिए सरकार का गठन तो हुआ पर नही बदली तो गांव की तश्वीर और गांव में रहने वालों की तकदीर। गढ़वा जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर अवस्तिथ है चिनियां का अमवा टोला। इस गांव में जाने के लिए कोई एनएच या स्टेट हाइवे नही है बल्कि जंगलों के बीच से गुजरने वाले कांक्रीट रास्ते है । हालात यह है कि देर शाम बीमार होने के बाद भी अस्पताल तक पहुंचना भी मुश्किल है। आज देश आजादी का अमृत महोत्सव भले हीं मना रहा हो , लेकिन आज भी ऐसे कई गांव है जो गुलामी से भी बदतर जिंदगी जीने को विवश है, जिसका जीता जागता उदाहरण है यह गांव जहां सरकार की ओर से मिलने वाली कोई भी सुबिधा यहां तक नही पहुंची। आज भी लोग सुबिधा विहीनता में जीने को विवश है।

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कच्ची सड़क
कच्ची सड़क
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-इस मुद्दे को लेकर हम जिले के उपायुक्त राजेश कुमार से इस गांव का हाल बताया तो उन्होंने कहाकि आपके द्वारा हमे खबर मिली है उस गांव में एक्सक्यूटिव और जेई को भेज कर जांच करवाते है जरूरत पड़ेगी तो हम जरूर पुल बनवाएंगे।

जंगलो से गुजरती सड़क
जंगलो से गुजरती सड़क

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