kangana ranaut padma shri 1200

कंगना रनौत का पद्मश्री वापस लिया जाये : भाकपा

आकाश शर्मा/अशोक
रामगढ़। भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा है कि कंगना रनौत का पद्मश्री वापस लिया जाए।
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक, पद्मश्री प्राप्त करने के तुरंत बाद अभिनेत्री और भाजपा समर्थक खेमे की प्रमुख हस्ती- कंगना रनौत ने घोषित कर दिया कि 1947 में जो देश ने हासिल की, वह तो महज भीख थी और असल आज़ादी 2014 में आई जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री चुने गए. उन्होंने यह बात टाइम्स नाउ द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव में कही (गौरतलब है कि यह चैनल भी मोदी सरकार के पक्ष पोषण करने के प्रति समर्पित चैनलों में से एक है.
इन्हे भी पढ़े :- जैप- वन ग्राउंड, डोरंडा में आयोजित झारखंड राज्य स्थापना दिवस अलंकरण परेड समारोह में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन हुए शामिल
कंगना रनौत का बयान हालांकि अफ़सोसजनक है पर यह आरएसएस द्वारा आज़ादी के आंदोलन के दौरान और आज़ादी के तत्काल बाद अभिव्यक्त भावनाओं के साथ ही आरएसएस के संस्थापक विचारक गोलवलकर के इन विचारों से मेल खाता है, जिसमें वे घोषित करते हैं कि स्वाधीनता आंदोलन के शहीद असफल लोग हैं और उनको आदर्श नहीं माना जाना चाहिए. गोलवलकर ने तो यहां तक कहा कि आज़ादी का ब्रिटिश विरोधी दृष्टिकोण “विनाशकारी” है. आज़ादी के वक्त आरएसएस ने तिरंगे झंडे और संविधान के प्रति भी घोर अवमाननाकारी दृष्टिकोण प्रदर्शित किया और इनके बजाय भगवा झंडे व मनुस्मृति को अपनाने की मंशा जाहिर की.

WhatsApp Image 2021 11 14 at 3.25.01 PM 1
भाकपा माले महासचिव दीपांकर

इन्हे भी पढ़े :- नमामि गंगे योजना के तहत बाल दिवस के अवसर पर हुआ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
ऐसा प्रतीत होता है कि कंगना रनौत के लिए औपनिवेशिक ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता अवमाननाकारी है. लगता है कि आज़ादी का मतलब वे समझती हैं- मॉब लिंचिंग की आज़ादी, कट्टरता व रूढ़िवाद की अभिव्यक्ति व प्रसार की आज़ादी और आरएसएस के खानपान, पहनावे,धर्म और आचार-व्यवहार संबंधी विचारों को बेहद हिंसक तरीके से पूरे देश पर थोपना.
इन्हे भी पढ़े :- दुमका में श्रद्धा से मना भगवान सहस्त्रार्जुन का जन्मोत्सव
देश की आज़ादी और उसके शहीदों का अपमान करने के लिए केंद्र सरकार को कम से कम इतना तो करना ही चाहिए कि वह, कंगना रनौत का पद्मश्री वापस ले ले. सरकार एक तरफ आज़ादी का “अमृत महोत्सव” मनाने का दावा करे और दूसरी तरफ ऐसे लोगों को प्रश्रय और सम्मान दे जो भारत की आज़ादी और आज़ादी के आंदोलन का अपमान करे, ये दोनों बातें एक साथ तो नहीं चल सकती.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via