वृद्ध महिला को हाई कोर्ट से मिला इंसाफ ,रांची में जमीन के दोहरे म्यूटेशन पर लगी रोक, 10,000 रुपये का जुर्माना, जमीन दलाल, बिल्डर , अधिकारी सबकी मिलीभगत का हुआ पर्दाफास
वृद्ध महिला को हाई कोर्ट से मिला इंसाफ ,रांची में जमीन के दोहरे म्यूटेशन पर लगी रोक, 10,000 रुपये का जुर्माना, जमीन दलाल, बिल्डर, अधिकारी सबकी मिलीभगत का हुआ पर्दाफास
अगर हाई कोर्ट ना हो तो ऐसा लगता है कि आपकी जमीन आपकी नहीं है । क्योंकि झारखंड में बिल्डर जमीन माफिया और अधिकारी का ऐसा साठगांठ है की एक वृद्ध महिला को भी नहीं बक्शा जाता है, उसके साथ भी धोखाधड़ी और बेईमानी करने की कोशिश की जाती है। आज हाईकोर्ट का जो फैसला आया है उसके बाद तो यही लगता है कि ऑफिस से लेकर रजिस्टर कार्यालय तक सब बिल्डर और जमीन दलाल से मिले रहते हैं एक वृद्ध महिला जिसकी जमीन का दूसरे के नाम पर म्यूटेशन होता है फिर रजिस्ट्री होती है। उसके बाद वृद्ध महिला का यानी असली मालिक का मोटेशन खारिज हो जाता है। आप समझ सकते हैं यह कैसे हुआ होगा । लेकिन सभी की बेईमानी पर इंसाफ भारी पड़ गया। हाई कोर्ट से वृद्ध महिला को पूरी तरह इंसाफ मिल गया।
आईए जानते हैं पूरी खबर को
झारखंड हाईकोर्ट ने लालगुटुआ में जमीन के दोहरे म्यूटेशन से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को सही ठहराते हुए अपीलकर्ता अजीत कुमार बरियार की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने दोहरे म्यूटेशन को अवैध करार देते हुए इसे रद्द कर दिया और अजीत पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी से जमीन दोबारा बेचकर एक वृद्ध महिला को अनावश्यक परेशानी में डाला गया।
क्या है मामला?
वर्ष 1963 में देवकली देवी ने लालगुटुआ में 43 डिसमिल जमीन खरीदी और उसका म्यूटेशन करवाया था। इस जमीन की रसीद भी नियमित रूप से कट रही थी। लेकिन साल 2000 में पुराने मालिक के रिश्तेदारों ने धोखाधड़ी कर उसी जमीन को अजीत कुमार बरियार को बेच दिया। अजीत ने इस जमीन को एक बिल्डर को बेच दिया, जिसने रजिस्ट्री कराकर दोबारा म्यूटेशन करवाया और देवकली के मूल म्यूटेशन को रद्द करवा दिया।
कानूनी लड़ाई और कोर्ट का फैसला
2007 में देवकली देवी की ओर से अनिल कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। एकल पीठ ने अनिल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर के दोहरे म्यूटेशन को गलत ठहराया और देवकली के म्यूटेशन को वैध माना। इसके खिलाफ अजीत ने खंडपीठ में अपील की, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। अनिल कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार ने पक्ष रखा।
कोर्ट की टिप्पणी
खंडपीठ ने कहा कि यह मामला धोखाधड़ी का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें एक वृद्ध महिला को परेशान करने के लिए गलत तरीके से जमीन का म्यूटेशन कराया गया। कोर्ट ने न केवल दोहरे म्यूटेशन को रद्द किया, बल्कि अपीलकर्ता पर जुर्माना लगाकर सख्त संदेश भी दिया। यह फैसला जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में एक मिसाल साबित हो सकता है।